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Friday, 28 December 2012

मत मारो मुझे बेमौत अल्लाह के लिए

मुआफ़ कर दो मुझे मेरे गुनाह के लिए
लौट आओ दिल से उठती आह के लिए

बस एक बार आकर मेरे अश्क पोंछ दो
रो रहा हूँ कब से तेरी पनाह के लिए

अ इश्क मुझे अपना घर भी देखना है
मत मारो मुझे बेमौत अल्लाह के लिए

दर्द कम करने के लिए चला लेता हूँ कलम
वरना कभी नही लिखता मैं वाह के लिए

तुम्हारे साथ की आज बेहद जरूरत है
बेचैन को कामयाबी की राह के लिए






तू तो आज भी सांसो में हवा सा बसता है

किसने कहा की तू मर गया है मेरे लिए
तू तो आज भी सांसो में हवा सा बसता है

आ गौर से देख मेरी डबडबाई आँखों में
तेरा नाम लेकर जहा से दरिया बहता है

सुनकर तुम्हारी आवाज जो खिल उठता था
आजकल वही शख्स बेहद उदास रहता है

मैं यादाश्त भूल सकता हूँ मगर तुझको नही
तडफ-तडफकर वजूद मेरा यही कहता है

किसी सजा याफ्ता मुजरिम सा हाल है बेचैन
बता नही सकता दिल कितना दर्द सहता है

सिवा यार-दोस्तों के मेरे पास क्या है

सिवा यार-दोस्तों के मेरे पास क्या है
आप ही ने तो बताया अहसास क्या है

चिल्लाते है लोग रिश्तेदार रिश्तेदार
हां नही जानता मैं ये बकवास क्या है

 की ही न हो जिसने कभी सच्ची महोब्बत
वो क्या जाने जुदाई का बनवास क्या है

मेरी जगह खुद को बिठाकर पूछ मन से
किसी की याद में तडफ और प्यास क्या है

मुद्दत हो गई बेचैन मुस्कुराये अब तो
नही जानता ख़ुशी और उल्लास क्या है