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Monday, 29 October 2012

सकून देकर के वो बेकसी दे गया

सकून देकर के वो बेकसी दे गया
जाने आँखों में कैसी नमी दे गया

मुझसे लेकर के वादा खुश रहने का
वो बदले में मुझको बेबसी दे गया

मैंने मुस्कुराहट उनसे क्या मांग ली
खुद पे हंसता रहूँ वो हंसी दे गया

शायद मिलकर मुझसे ख़ुशी नहीं मिली
इसलिए वो करार अजनबी दे गया

सीने में जारी है एक घबराहट सी
वो कहने को तो मुझे जिंदगी दे गया

रिश्ता पक्का हुआ दोनों में बीच में
कहकर हाथों में वो एक घड़ी दे गया

बोलकर आखरी बेचैन मुलाक़ात है
अपनी उम्र भर की मुझको कमी दे गया