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Monday, 15 October 2012

जो पीते नही उनको बीच में आने नही देंगे

जो पीते नही उनको बीच में आने नही देंगे
काजू भूजिया मुफ्त के चने खाने नही देंगे

हम होश में रहे या नशे में याद रखना दोस्तों
अपने उसूलो से किसी को टकराने नही देंगे

हम चम्मच से बजायेंगे बोतल को खाली करके
मज़ा नशे का बेकार में यूं ही जाने नही देंगे

दम नही है जिसमे बैठकर यारों संग पीने का
महफ़िल पर उसे हक कोई भी जमाने नही देंगे

हंसकर सुनाएगा जो कोई भी दास्ताने महोब्बत
बिन रोये उसे बेचैन किस्सा सुनाने नही देंगे

ढंग ख़ामोशी का कहता है चाहत ही नही

ऐसा लगता है उसे मेरी जरूरत ही नही
यूं पेश आता है जैसे महोब्बत ही नही

पास होकर भी नही करता वो आजकल बातें
ढंग ख़ामोशी का कहता है चाहत ही नही

और यकी जियादा जां देकर ही दिला सकता हूँ
बदनसीबी जीते जी उसे अकीदत ही नही

सजने लगे गमलो में कागज़ के फूल जब से
कीचड़ के कमल की कोई कीमत ही नही

सच तो यही है सुर्ख आँखों की कसम यारो
बेचैन मिन्नते करने की और हिम्मत ही नही