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Saturday, 15 December 2012

तू वापिस ले जा दिल अपना सौ ग्राम का


सचमुच नही है देख मेरे किसी काम का
तू वापिस ले जा दिल अपना सौ ग्राम का

अब और नही चुसूंगा उम्मीद की गुठली
तुमने गंवा दिया मौसम प्यार के आम का

कोशिश मत कर मुझे आँखों से पिलाने की
फ़िलहाल वक्त हो चला है असली जाम का

तू भी सूख कर छुआरा कभी नही होती
मान लेती कहना जो अपने झंडुबाम का

भाड़ में जाये अहसास तेल लेने जा तू
बेचैन आशिक हो गया है श्री राम का

क्या जरूरी है वो होगा मुझसे भी बेहतर

क्या जरूरी है वो होगा मुझसे भी बेहतर
जिसके लिए तू मुझको ठोकर लगा गया

तुझको तुम्हारी कसमकश ने लूट लिया है
अंदाज़े-ख़ामोशी तेरा सब बता गया

अल्लाह का शुक्र था मैं फिर भी नही मरा
कातिल तो पीठ में पूरा खंजर घुसा गया

मैं ढंग से मुस्कुराऊँ शायद ही उम्र भर
लबों की हंसी दिल का तू सकून खा गया

तू ऐसा ही सच्चा था तो गुफ्तगू करता
क्यूं चोरों की तरह भागकर मुह छिपा गया

जा मेरी दुआ है तुझे हजार यार मिले
अपना तो एक तू था तू ही चला गया

जब चोट लगी दिल पे तो कहना पड़ा मुझे
बेचैन दौर सचमुच में ही बुरा आ गया