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Tuesday, 11 September 2012

किसलिए मेरे सांस लेने में तू खड़ी परेशानी करता है

दिल है की तुम्हारे वादों पर धडकने की नादानी करता है
एक तू है की तस्वीर तक देने में आनाकानी करता है

मेरे साथ मेरी महोब्बत का किस्सा अब होने भी दे खत्म
रोज बातें बनाकर मुझपे क्यूं झूठी मेहरबानी करता है

तुझसे नही चाहिए कोई भी जवाब मगर इतना सा बता दे
किसलिए मेरे सांस लेने में तू खड़ी परेशानी करता है

कुछ मत बोलियेगा तेरे चेहरे ने सब बोल दिया मेज़बान
हाँ मजबूरी में तू मेहमानों की चाय पानी करता है

ये मैं नही कहता हूँ तारीख में साफ़ साफ़ लिखा है बेचैन
वो पछताता है जो किसी के जज्बात से छेड़खानी करता है