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Tuesday, 24 April 2012

जिंदगी मैं तेरा एतबार तो बन सकता हूँ


हमसफर न सही गमख्वार तो बन सकता हूँ
जिंदगी मैं तेरा एतबार तो बन सकता हूँ

फूलों जितनी अहमियत शायद न हो मेरी
कांटा निकालने वाला खार तो बन सकता हूँ

पाऊँगा तुमको कभी तू जाने या नसीब
मगर तेरा मैं तलबगार तो बन सकता हूँ

हकीकत में तो शायद मेरी औकात ना हो
ख्वाबो में बसा किरदार तो बन सकता हूँ

तू जिसे चाहेगा प्यार तो उसे देगा बेचैन
नफरत का पर मैं हकदार तो बन सकता हूँ

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