Friends

Friday, 30 November 2012

मेरे ज़ज्बात को तुमने सहलाया क्यूं था

दूर ही जाना था तो पास में आया क्यूं था
मेरे ज़ज्बात को तुमने सहलाया क्यूं था

मैं बेहद खुश था छोटी सी अपनी दुनिया में
तुमने दुनिया से मुझे बाहर बुलाया क्यूं था

मारना ही था तमाचा तो मुह पे मार देता
तुमने अहसास को हथियार बनाया क्यूं था

दर्द के रिश्ते से बढ़कर नही है रिश्ता कोई
बांधकर हाथ में घड़ी तुमने बताया क्यूं था

रोने देता मुझे मुलाकात पर समझकर पागल
पौछ्कर आंसू मेरे चुप ही कराया क्यूं था

झूठ था सब कुछ तो फिर वो मुलाकात क्या थी 
पहरों मुझको गोद में तुमने सुलाया क्यूं था

सच यही है मैं चैन मरकर भी नही पाऊंगा
मेरे अल्लाह मुझे दुनिया ही लाया क्यूं था