दिल तेरी याद में सुबकता है
आके चुप क्यूं नही तू करवाता
दम निकलने को है तुम्हारी कसम
है आखरी पल क्यूं नही तू आता
मैं बिखर जाऊंगा खुशबू की तरह
ता-उम्र रहियों फिर तू पछताता
तुझको चाहा यही है जुर्म मेरा
इस खता की सज़ा तो दे जाता
रोज कहता है आईने से जो
काश मुझसे कभी तू कह पाता
प्यार है तू मेरा अफ़सोस नही
आ जाता तो मैं तुझको समझाता
आहें बेचैन सुनता जो मेरी
जाके मन्दिर में आंसू छलकाता
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