,,,
मैं तुझे फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,,
मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा
शायद तेरे स्वभाव की चिढ बनके,,
तेरे सामने आऊंगा,,
या एक अनजाना सा रहस्मय सूनापन बनके
हर वक्त तेरे साथ रहूँगा और तुझे तकता रहूँगा,,
तुझे लगेगा भी की मैं हूँ मगर दिखाई नही दूंगा,,,,,
मैं तुझे फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
या सूरज की रौशनी बनके ,,
चाँद की चांदनी बनके तेरे आंगन में उतरूंगा
मैं तुझे फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
या तेरा बेटा बनके तेरे कलेजे की ठंडक के रूप में
जब जब अपने बेटे को प्यार करोगी
उसकी खिलखिलाहट और रोने में अपना अक्स लेकर
मैं तुझे फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
मैं और कुछ नही जानता
मगर इतना जानता हूँ वक्त जो भी करेगा
मेरा ये जन्म तुम्हारे साथ चलेगा,,,,,
मेरा जिस्म खत्म होता है तो सौ बार हो जाए,,,
मगर अहसास की गर्मी बनकर सदा तुम्हारी आहों में बसूँगा,,
जब भी तन्हा बैठोगी अश्क बनकर
तुम्हारी आंख में झाँकने लगूंगा,,
जब भी हंसोगी,,,,मेरी बेबसी तुम्हारे सामने आ जायेगी,,,
मैं तुझे फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
मैं तुझे फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
मैं तुझे फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
मैं तुझे फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,,
मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा
शायद तेरे स्वभाव की चिढ बनके,,
तेरे सामने आऊंगा,,
या एक अनजाना सा रहस्मय सूनापन बनके
हर वक्त तेरे साथ रहूँगा और तुझे तकता रहूँगा,,
तुझे लगेगा भी की मैं हूँ मगर दिखाई नही दूंगा,,,,,
मैं तुझे फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
या सूरज की रौशनी बनके ,,
चाँद की चांदनी बनके तेरे आंगन में उतरूंगा
मैं तुझे फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
या तेरा बेटा बनके तेरे कलेजे की ठंडक के रूप में
जब जब अपने बेटे को प्यार करोगी
उसकी खिलखिलाहट और रोने में अपना अक्स लेकर
मैं तुझे फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
मैं और कुछ नही जानता
मगर इतना जानता हूँ वक्त जो भी करेगा
मेरा ये जन्म तुम्हारे साथ चलेगा,,,,,
मेरा जिस्म खत्म होता है तो सौ बार हो जाए,,,
मगर अहसास की गर्मी बनकर सदा तुम्हारी आहों में बसूँगा,,
जब भी तन्हा बैठोगी अश्क बनकर
तुम्हारी आंख में झाँकने लगूंगा,,
जब भी हंसोगी,,,,मेरी बेबसी तुम्हारे सामने आ जायेगी,,,
मैं तुझे फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
मैं तुझे फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
मैं तुझे फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
1 comment:
bahut khub .....
Post a Comment