वजूद को गिरवी रखकर पाया है तुझे
इसीलिए राजदार बनाया है तुझे
मैं बिछड़ते ही तुमसे दम तोड़ दूंगा
कितनी ही दफा तो समझाया है तुझे
अंजाम-ए-इश्क खूब सोचने के बाद
धडकन-ओ- सांसों में बसाया है तुझे
कहकर तो देख सब बदल डालूँगा मैं
कौन सा अंदाज़ ना पसंद आया है तुझे
तेरे ही सकूं की दुआओं के असर ने
यकीनन बेचैन से मिलवाया है तुझे
इसीलिए राजदार बनाया है तुझे
मैं बिछड़ते ही तुमसे दम तोड़ दूंगा
कितनी ही दफा तो समझाया है तुझे
अंजाम-ए-इश्क खूब सोचने के बाद
धडकन-ओ- सांसों में बसाया है तुझे
कहकर तो देख सब बदल डालूँगा मैं
कौन सा अंदाज़ ना पसंद आया है तुझे
तेरे ही सकूं की दुआओं के असर ने
यकीनन बेचैन से मिलवाया है तुझे
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