जुदाई और मौत दोनों है सामने
कसमकस में हूँ गले लगाऊं किसको
तुमने ही रोका है जिक्र करने से
अब हाल-ए दिल जाकर बताऊ किसको
तेरी ज़ुल्फ़ मेरे हालात उलझे है
सोचता हूँ पहले सुलझाऊं किसको
मेरी अकेले की नही है गलतियाँ
परेशान हूँ हकीकत समझाऊं किसको
प्यार में उसे तो मिल गया तू बेचैन
उसकी तरह मैं भी तडफाऊं किसको
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