कभी मजबूरियों ने घेरा तो कुछ कह नही सकता
वरना तो तुम्हारे बिन मैं जिंदा रह नही सकता
रखी है मैंने भरोसे की इंटों पर बुनियाद
मेरी महोब्बत का किला शक से ढह नही सकता
ठहरा हुआ पानी हूँ खुद सोचो क्या करना है
अपनी मर्जी से मैं किसी और बह नही सकता
वो तो तुम्ही हो जिसकी बेरुखी भी झेल रहा हूँ
वरना कांटे की चुभन तक मैं सह नही सकता
समर पिछले जन्म का है या अगले जन्म की तैयारी
जा बेचैन के बिना तू भी चैन से रह नही सकता
वरना तो तुम्हारे बिन मैं जिंदा रह नही सकता
रखी है मैंने भरोसे की इंटों पर बुनियाद
मेरी महोब्बत का किला शक से ढह नही सकता
ठहरा हुआ पानी हूँ खुद सोचो क्या करना है
अपनी मर्जी से मैं किसी और बह नही सकता
वो तो तुम्ही हो जिसकी बेरुखी भी झेल रहा हूँ
वरना कांटे की चुभन तक मैं सह नही सकता
समर पिछले जन्म का है या अगले जन्म की तैयारी
जा बेचैन के बिना तू भी चैन से रह नही सकता
No comments:
Post a Comment