बता कैसे रहूँगा मैं होश के साथ
तू बिछड़ा है इक अफ़सोस के साथ
गम ना कर बाद तेरे तन्हा नही हूँ
मैं रहूँगा दिल की खरोश के साथ
बीच सफर में तुझको लौटना था गर
फिर क्यूं चला था साथ जोश के साथ
क्या पता सर करके कलम दे देता
कुछ दिन तो निभाता सरफरोश के साथ
बता कैसे भूलेगा उम्र भर बेचैन
तू खूब खेला दिल खरगोश के साथ
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