मखमली अहसास लौटाने का शुक्रिया
लौट कर जिंदगानी में आने का शुक्रिया
भटक सा गया था ख्यालात के जंगल में
हाथ पकड़कर राह दिखाने का शुक्रिया
मैं दोजख में पड़ा कब से रो रहा था
लेकर मुझे जन्नत में जाने का शुक्रिया
इस बहाने दर्दे इश्क का पता चल गया
मुझ पर हंसकर सितम ढाने का शुक्रिया
अब तक नाम से था तुने रूह से कर दिया
मुझे सच में बेचैन बनाने का शुक्रिया
No comments:
Post a Comment