मन की बातों को मन के भीतर ही मारना है
अब तो यादों के ही सहारे जीवन गुजारना है
तू लौटकर आये ना आये सब तुम्हारी मर्जी
मुझे तो हर हाल में तुम्हारा नाम पुकारना है
जुबा पर खरा उतरूंगा मौका लगने दे
जान देकर ही सही तुम्हारा कर्ज़ उतारना है
तुम रोज खूबसुरती पर बेशक देना तवज्जो
जुदाई में मुझको तो अपना दर्द निखारना है
तू मिल जाता तो कौन सी मौत जीत लेता
जिंदगी से तो बेचैन हर हाल में हारना है
अब तो यादों के ही सहारे जीवन गुजारना है
तू लौटकर आये ना आये सब तुम्हारी मर्जी
मुझे तो हर हाल में तुम्हारा नाम पुकारना है
जुबा पर खरा उतरूंगा मौका लगने दे
जान देकर ही सही तुम्हारा कर्ज़ उतारना है
तुम रोज खूबसुरती पर बेशक देना तवज्जो
जुदाई में मुझको तो अपना दर्द निखारना है
तू मिल जाता तो कौन सी मौत जीत लेता
जिंदगी से तो बेचैन हर हाल में हारना है
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