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Tuesday, 31 January 2012

अ दोगले इंसान तुझे मेरी हाय लगेगी

अ बेवफा बेईमान तुझे मेरी हाय लगेगी
तू मान या ना मान तुझे मेरी हाय लगेगी

मैं आधी रात में रोते हुवे सच कह रहा हूँ
होगा कोई नुकसान तुझे मेरी हाय लगेगी

मेरी दीवानगी को बेवफाई का नाम देकर
नही अच्छा किया जान तुझे मेरी हाय लगेगी

अपनी आवारगी को सही ठहराने वाले
अ दोगले इंसान तुझे मेरी हाय लगेगी

जल्द हो जायेगा दुनिया से रुखसत बेचैन
रहना अब परेशान तुझे मेरी हाय लगेगी

Monday, 30 January 2012

खुद ही बोल इस हफ्ते कितना मुस्कुराया है

महबूब से बिछड़कर कौन खुश रह पाया है
खुद ही बोल इस हफ्ते कितना मुस्कुराया है

पिछले दो महीनो की तस्वीरे भेज रहा हूँ
देख कर बता नूरे-शक्ल कितना गवांया है

साफ़ साफ़ बक दिए हालात जिसने दिल के
बाद में उसी का लोगों ने मजाक उड़ाया है

माँ के मरने पर भी ना रोया हूँ इतना
 तुम्हारी नाराजगी ने जितना रुलाया है

मुआमला इश्क का हो व्यापार का बेचैन
ना ज़हन में रख दिक्कतों ने यही सिखाया है

Sunday, 29 January 2012

तेल लेने गया प्यार आज से

तेल लेने गया प्यार आज से
रंगीन रखूंगा विचार आज से

खूब करूंगा अब दबकर आशिकी
नही डर किसी का यार आज से

सुना है हीरोइन के फोटो छपते है
देखा करूंगा अखबार आज से

हसीनो के लिए धड़केगा दिल
बनूंगा पक्का दिलदार आज से

इश्कबाजी अब नगद बेचैन
कर दी है बंद उधार आज से

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Tuesday, 24 January 2012

मिलते ही पहली फुरसत फैंसला करूंगा

तुझसे अब ना कोई शिकवा गिला करूंगा
आगे से जिंदगी मैं कम ही मिला करूंगा

जब तुझे ही नही है कोई ख़ास दिलचस्पी
किसलिए मुलाकातों का सिलसिला करूंगा

जब तय हो चुका तू नही जीत का हासिल
फिर क्यूं साथ यादों का काफिला करूंगा

हो सके तो करना मेरी बात का यकीन
मैं कही भी रहूँ तेरे लिए दुआ करूंगा

कसमकस में शायद अब न रहूँ ज्यादा दिन
मिलते ही पहली फुरसत फैंसला करूंगा

कम से कम इश्क के मामले में सीख लिया
ज़ज्बात में बहकर न किसी का भला करूंगा

अब नही गुजरूँगा अहसास के जंगल से
वादा रहा बेचैन सम्भल कर चला करूंगा

Saturday, 21 January 2012

तू बेचैन होकर जब तक अपने पीहर पहुंचेगी

देख लेना उस पल तुम्हारी भर आएँगी आँखें
मेरे ना होने की जब तुम तक खबर पहुंचेगी

मेरी चीख सुनाई देगी तेरे ज़हन में हरसू
तुम्हारे कसूर तक जब तुम्हारी नजर पहुंचेगी

याद आएगी जब पथराई आँखों की बेबसी
इक आह तेरी रूह तक जाने जिगर पहुंचेगी

मैं तो शहर से क्या दुनिया से ही जा चुका हूँगा
बता तो फिर चाय पीने तू किसके घर पहुंचेगी

शर्त लगा ले तब तक पैदा हो जायेगा अफ़सोस
तू  बेचैन होकर जब तक अपने पीहर पहुंचेगी

चाहने वालों की तरह तू चाहकर तो देखता

तन्हाई में गजले मेरी गुनगुनाकर तो देखता
चाहने वालों की तरह तू चाहकर तो देखता

गिर जाता कोई न कोई आंसू तेरे दामन पर
मेरी याद में पलकें झिलमिलाकर तो देखता

मेरी दीवानगी से ही तू घबराता रहा सदा
मेरा प्यार अपने डर से टकराकर तो देखता

मैं उतना पागल नही हूँ तू जितना सोचता है
समझ जाता बात प्यार से समझाकर तो देखता

जुल्फों के साथ ख्याल भी तेरे उलझे रहे सदा
सुलझा देता बेचैन जिक्र उठा कर तो देखता

बच्चे की तरह पालूंगा ता-उम्र तुम्हारी याद

बच्चे की तरह पालूंगा ता-उम्र तुम्हारी याद
तुम ले जाना इसे बेशक जवान होने पर

तेरे इश्क ने ही सिखाया है मुझको सबक
पछताता है आदमी सच का ज्ञान होने पर

यकीन का नाम सुना है तो कर थोडा यकीन
बुरा भला बकता हूँ कुछ परेशान होने पर

मैं तो खुद पर इतरा रहा हूँ पाकर तुझको
तू भी कुछ गरूर कर मेरी जान होने पर

अगर नही मालूम तो बता देता हूँ  तुझको
मन शक पर शक धरता है बेईमान होने पर

तेरे प्यार की जरा सी मुझे हवा क्या लगी
खूब रोता हूँ कच्चे दिल का इंसान होने पर

मुझे लेकर बेचैन कोई किसलिए होगा भला
क्यूं याद रखेगा पहलू में आसमान होने पर


Wednesday, 18 January 2012

बता कौन से दिन पलकें ना भिगोता हूँ

 उसे उल्टा सीधा बोलकर खूब रोता हूँ
या रब मैं इतना गुस्सा क्यूं होता हूँ

शीशे की तरह साफ़ है इश्क के हालात
फिर भी रोज नये ख्वाब क्यूं संजोता हूँ

तेरी याद में मंगल वीर सब एक समान
बता कौन से दिन पलकें ना भिगोता हूँ

मुस्कुराना अपनी जगह मगर सच है यह
आजकल चैन की नींद नही सोता हूँ

अब भी वही जवाब है उसका बेचैन
मैं ही सवालातों का बोझ ढोता हूँ

Tuesday, 17 January 2012

कल से तेरा यार घर से कम निकलेगा

आंसू की शक्ल में ना कोई भ्रम निकलेगा
पथराई आँखों से अब तो दम निकलेगा

फिर करता हूँ  आज मैं एक बार वादा
न जीते जी दिल से तेरा गम निकलेगा

मान जा सितमगर बहुत देर हो जाएगी
जब तक तेरी जुल्फों का खम निकलेगा

ओढ़ लेगा तन्हाई छोड़ कर आवारगी
कल से तेरा यार घर से कम निकलेगा

कर चुके होंगे लोग तेहरवी बेचैन
सुध लेने जब तक तेरा सनम निकलेगा
खम=उलझन 

Monday, 16 January 2012

अपनी महबूबा को मैं ढाढ़ी में रखता हूँ






अपनी महबूबा को मैं ढाढ़ी में रखता हूँ
यूं गौर चेहरे की खेती बाड़ी में रखता हूँ

इसलिए नही आती मुझे सफर में दिक्कत
उसकी तस्वीर हमेशा गाडी में रखता हूँ

मालूम हुआ है जब से उसका पसंदीदा रंग
तब से बीवी को नीली साडी में रखता हूँ

यही तो सबब है मेरी सांसे महकने का
उसे छिपाकर दिल की फुलवाड़ी में रखता हूँ

बता जीते जी कैसे वो दूर होगा बेचैन
लहू सा उसे शरीर की नाडी में रखता हूँ

Sunday, 15 January 2012

फिर वही करना जो तुम्हारे दिल ने सोचा है

कितना ही तलाश करना नजर नही आऊंगा
तुम्हारी जिंदगी से जब मैं दूर चला जाऊंगा

फिर वही करना जो तुम्हारे दिल ने सोचा है
तुम्हारी हरकतों पर कौन सा टोकने आऊंगा

बेशक से बहाना आंसू मेरी बातें याद करके
कौन सा मैं पिंघल कर उनको पोंछने आऊंगा

मैं हिन्दू  हूँ जान मेरी तो कब्र भी ना बनेगी 
तुम देख लेना राख के ढेर में बदल जाऊंगा

जाओ ये भी वादा रहा तेरे बेचैन का तुमसे
क्यूं आई मौत राज अपने साथ ले जाऊंगा

बेवकूफ शायर को उसकी ज़ात याद दिला दी

अच्छा किया मुझे मेरी औकात याद दिला दी
जो भूल चुका मैं मुझे वो बात याद दिला दी

क्यूं रहेगी बता तेरी यादों की जमी बंजर
तूने आंसुओ की जब बरसात याद दिला दी

ज्यादा ही हवा में मैं उड़ने लगा था शायद
जो तुमने नसीब में मिली मात याद दिला दी

तन्हाई बेबसी और दर्द से डरकर भाग रहे
बेवकूफ शायर को उसकी ज़ात याद दिला दी

इक हादसा बनकर आने का शुक्रिया बेचैन
है जिंदगी कितनी वाहियात याद दिला दी

Saturday, 14 January 2012

जा नही करता तेरे प्यार की मजदूरी

अगर मुझको भ्रम है तो मेरा भ्रम तोड़ दो
नही बिगड़ा है अब भी कुछ, मुझको छोड़ दो

मन के किसी कोने में गर दिल्लगी का भूत है
जितना जल्दी हो सके उसका सर फोड़ दो

जा नही करता तेरे प्यार की मजदूरी
चुपचाप गरीब आशिक का हिसाब जोड़ दो

हो सके तो खाना रहम मेरा पहला प्यार है
कही ऐसा ना निम्बू सा मुझको निचोड़ दो

बस तेरा नाम लेकर मिल लेंगे बेचैन
चाहे जहाँ भर के गम मेरी और मोड़ दो

कहाँ फंसी फिर बुदबुदाई होगी मगर कोई आसपास होगा


उसने ली जरुर अंगडाई होगी मगर कोई आसपास होगा
उसे मेरी याद तो आई होगी मगर कोई आसपास होगा

जुदाई के मारे मेरी हालत का अंदाज़ा लगाने पर यारों
उसकी आँख तो भर आई होगी मगर कोई आसपास होगा

बैठकर आईने आगे वो आज तो शायद सिंगार करते वक्त
अपने आप से बतियाई होगी मगर कोई आसपास होगा

उसकी फितरत में शामिल वही झूठा इक पुराना अफ़सोस
कहाँ फंसी फिर बुदबुदाई होगी मगर कोई आसपास होगा

शायद चुराकर सबसे नजरे उसने आह भरते हुवे बेचैन
मेरी गजल तो गुनगुनाई होगी मगर कोई आसपास होगा

Friday, 13 January 2012

कामयाबी दोस्तों किसी भी शक्ल में गौर फरमा सकती है

दरवाजे से ही नही दीवार फांदकर भी आ सकती है
कामयाबी दोस्तों किसी भी शक्ल में गौर फरमा सकती है

भूलकर भी मत करना मेहनतकस से कभी बेईमानी
उसकी एक बददुआ तुमको अर्श से फर्श पर ला सकती है

दुश्मन में हुनर है तो उसकी भी तारीफ करो दिल से
ना जाने कौन सी बात जिंदगी जीना सीखा सकती है

गलत अंदाजे लगा बेकार में मायूस होकर मत बैठो
यहाँ आपके काम की तारीफ कभी भी की जा सकती है

 जल्दी बेचैन मत हो सब्र का फल चखकर तो देख
तकदीर तुम्हारी दोस्त कभी भी तो पलटा खा सकती है

तुमसे मिलने जब आऊं, मुझे पहचान तो लोगी ना..?



तुमसे मिलने जब आऊं, मुझे पहचान तो लोगी ना..?
मैं अपना नाम बताऊं, मुझे पहचान तो लोगी ना..?

किसी रोज भीड़ से निकल कर अचानक कभी तुमको
अपना चेहरा दिखाऊँ, मुझे पहचान तो लोगी ना..?

ऑनलाइन देती हो तुम रोजाना जितना प्यार
रूबरू मांगने आऊं, मुझे पहचान तो लोगी ना..?

ख्वाब जैसे अहसास के रिश्ते को आगे बढ़ा कर
कभी हकीकत बन जाऊं , मुझे पहचान तो लोगी ना..?

भूली बिसरी किसी बज्म में होकर बेचैन तुमको
जब कोई गजल सुनाऊँ , मुझे पहचान तो लोगी ना..?

Thursday, 12 January 2012

इसलिए चाहता हूँ कुछ बात है तुझमे

मूंगफली और रेवड़ी सा स्वाद है तुझमे
इसलिए चाहता हूँ कुछ बात है तुझमे

मकर सक्रांति आई तो याद आया कुछ
गज्जक जैसे मिठास सी करामात है तुझमे

रोते हुवे बच्चों को झट गोद में ले लेते हो
क्या खूब गजब के ख्यालात है तुझमे

दुनिया जबकि मसखरों की मेरी जान
किसलिए इतने गहरे ज़ज्बात है तुझमे

मरने के बाद भी दोगे तो चलेगा बेचैन
आंसुओ भरी एक उधारी रात है तुझमे

मुझे तो मेरा महबूब खुदा दिखता है

 कमबख्त गिरगिट तो नही था पिछले जन्म में
तेवर का रंग बार बार जुदा दिखता है

आपको लगता होगा वो आम किरदार
मुझे तो मेरा महबूब खुदा दिखता है

वही लोग झेलते है प्यार में दिक्कते
जिन्हें आसमान दूर तक झुका दिखता है

बाद में करना लोगों की बात का यकीं
बता मेरी आँखों में तुझे क्या दिखता है

जाने क्यों सताता है तुझे बार बार वो
आदमी तो तू बेचैन भला दिखता है

Wednesday, 11 January 2012

उसे गणित में फंसाकर तूने अच्छा नही किया

दोजख में भी तुझको पंडित जगह ना मिलेगी
महबूब बरगलाकर तूने अच्छा नही किया

राहू-शनि के डर से मुलाक़ात नही करता
उसे गणित में फंसाकर तूने अच्छा नही किया

तेरी बात तुझको भारी पड़ेगी एक दिन
यूं झूठी कसम खाकर तूने अच्छा नही किया

फिर कुछेक कमीनो से हाथ मिलाना पड़ेगा
मुझे बज्म में बुलाकर तूने अच्छा नही किया

बिना बेचैन किये भी तो समझा सकता था
बातों को उलझाकर तूने अच्छा नही किया

Tuesday, 10 January 2012

ढाढ़ी क्या बढ़ी वो बेचारा दिखने लगा

ढाढ़ी क्या बढ़ी वो बेचारा दिखने लगा
अंधे को भी इश्क का मारा दिखने लगा

चुराने लगा आँखे हर एक बात पर जब
हरकतों में छिपा हाल सारा दिखने लगा

महबूब का साथ उसको क्या मिला यारों
कमबख्त में हर वक्त तरारा दिखने लगा

सदियों से जिसे जमाना ताज कह रहा था
गरीब आशिक को वो ईंट गारा दिखने लगा

दिखाया उसने जब दिल का छाला बेचैन
वो उसी पल से अक्स हमारा दिखने लगा



Monday, 9 January 2012

भूत बनकर डराती है यादें तुम्हारी

भूत बनकर डराती है यादें तुम्हारी
अंदर ही अंदर खाती है यादें तुम्हारी

जैसे तुम गई पैर पटक कर उस रोज
ऐसे क्यूं नही जाती है यादें तुम्हारी

सर्दी-गर्मी या बरसात का मौसम हो
कभी नही मुरझाती है यादें तुम्हारी

कई दफा तुम्हारी कसम रो पड़ता हूँ
जब सिसकियाँ सुनाती है यादें तुम्हारी

चेहरे से साफ झलक जाता है बेचैन हूँ
जब बिजलियाँ गिराती है यादें तुम्हारी

तेरी आँखें पढना छोड़ रहा हूँ

लो मैं तुमसे लड़ना छोड़ रहा हूँ
तेरी आँखें पढना छोड़ रहा हूँ

आज से खुशियाँ मनाओ जानेमन
अपनी जिद पर अड़ना छोड़ रहा हूँ

चुम्बन तंगदस्ती ना होगा माथे पर
मैं अब आगे बढना छोड़ रहा हूँ

कह दिया है मन ने तन्हाइयों को
दिन और रात झड़ना छोड़ रहा हूँ

जान गया प्यार पाप नही है बेचैन
अब मैं शर्म से गढना छोड़ रहा हूँ


Saturday, 7 January 2012

बना लो कोई प्रोग्राम ठंड और संडे दोनों है

सुन बिन गुठली वाले आम ठंड और संडे दोनों है
बना भी ले कोई प्रोग्राम ठंड और संडे दोनों है

मुझे टोकने की गुस्ताखी हो सके तो मत करना
भाड़ में जाए काम धाम ठंड और संडे दोनों है

हद से ज्यादा जरूरत है दिल के दर्द को तुम्हारी
 मत दूर जा अ झंडूबाम ठंड और संडे दोनों है

बस आँखों में डाल आँखें पास मेरे बैठी रह
कबूल तेरे सब इल्जाम ठंड और संडे दोनों है

नही आएगी कमज़ोरी इक रोज की छुट्टी से
नही करते आज व्यायाम ठंड और संडे दोनों है

मौसम के बहाने मस्ती से मिलना हो जायेगा
देख लगाकर तू भी जाम ठंड और संडे दोनों है

ना रहे बेचैन कोई सबका दाता करे जुगाड़
सबके मन को मिले आराम ठंड और संडे दोनों है

कमबख्त दिल के साथ मेरा दिमाग ले गया

वो सोचने समझने की सब आग ले गया
कमबख्त दिल के साथ मेरा दिमाग ले गया

काम कोई भी ढंग से नही हो रहा है
मेरी जादूगरी के वो सब्जबाग ले गया

खुद तो गया दो जहाँ से मगर साथ अपने
तमाम गिद्ध और चीलों को काग ले गया

उसकी शक्ल के सिवा सब धुंधला दिख रहा है
वो आँखों की पुतलियों का चिराग ले गया

इसलिए रहता हूँ बेचैनी में बेचैन
वो मुस्कुराकर मन का सुरीला राग ले गया

तू फिक्रमंद निकली अपने दीवाने के लिए

शुक्रिया अहसास का जाम पिलाने के लिए
तू फिक्रमंद निकली अपने दीवाने के लिए

तुम आँखों से पिलाने को तैयार हो जब
मैं क्यूं भटकता फिरूंगा मयखाने के लिए

जान देकर भी उम्मीदों पर खरा उतरूंगा
कैसे भी पेश आ मुझे आजमाने के लिए

इश्क को पैदा किया है जां लूटाने के लिए
हुश्न तराशा है खुदा ने गजब ढाने के लिए

आइन्दा से आँख ख़ुशी में ही छलकेगी
सबब नही अब पलके झिलमिलाने के लिए

आगे बढ़कर थाम लिया सौ बार शुक्रिया
जो बेचैन था लम्हा पास आने के लिए

Friday, 6 January 2012

कभी मौका लगे तो नाचता मोर देखना

इश्क में आयेंगे क्या क्या दौर देखना
जिक्रे-शराफत में खुद को चोर देखना

तुम खुद महसूस करोगी फर्क चेहरे में
बस इक बार जरा आइना और देखना

क्यूं रोता हूँ हंसते हंसते जान जाओगी
कभी मौका लगे तो नाचता मोर देखना

बैठकर तन्हाई में बंद करके दोनों आँखे
मेरी तडफ का धडकनों में शोर देखना

बेचैन होकर पहले मेरी आरज़ू तो कर
फिर उसके बाद तकदीर का जोर देखना





जरा सी बात कितनी बार समझेगी

तू खुद को जब तलक शिकार समझेगी
नही लगता है मेरा प्यार समझेगी

बिछड़ते ही तुमसे दम तोड़ दूंगा
जरा सी बात कितनी बार समझेगी

मुझ पर हो जाएगा उसी दिन यकीन
जिस दिन खुद पर एतबार समझेगी

कैसे होगी मेरे दर्द से मुलाक़ात
आंसुओ को जब तक बेकार समझेगी

जन्म भर फिर तो बेचैन ही रहोगी
अपने अहसास जब तक भार समझोगी


क्या खोजती हो रोजाना मुझ फकीर में

मैं जकड़ा हुआ हूँ हालात की जंजीर में
क्या खोजती हो रोजाना मुझ फकीर में

मैं जिंदगी के सर्कस का जोकर हूँ जान
नही लिखवाकर लाया हंसना तकदीर में

मैं नही हूँ तुम्हारे ख्वाबो का शहजादा
मत बर्बाद कीजियेगा वक्त इस कबीर में

कैसे लूं तुझे बाँहों में भरने का ख्वाब
जब दिख नही रही तुम हाथों की लकीर में

होकर बेचैन दम तोड़ता है तो तोड़ने दो
मत तरस खाना अपनी जुल्फों के असीर में
असीर= कैदी



 



Thursday, 5 January 2012

मुझसे गुठली की नही आम की बातें कर

आजमाइश छोड़ कर काम की बातें कर
मुझसे गुठली की नही आम की बातें कर

शोहरत का तो अचार भी नही डलता दोस्त
हो सके तो व्यपार में दाम की बातें कर 

सिफारिस के साथ मेहनत भी लाज़िम है
ना गरुर में ज्यादा दुआ सलाम की बातें कर

तेरे मन में क्या वो तो सभी जान गए है
नेता जी जुबा से तो आवाम की बातें कर

दिन किस तरहा गुजरा भूल जाओ बेचैन
क्या करेगा ख़ास आज शाम की बातें कर

Wednesday, 4 January 2012

देख कही ठंड ना लग जाए हमारे प्यार को

जमाने की आबो हवा से बचकर मेरी जान
देख कही ठंड ना लग जाए हमारे प्यार को

अहसास की धुंध निकलेगी दोनों के मुह से
कोई तो पिलाकर देखे चाय हमारे प्यार को

हमने तुमने शादी का फैंसला क्या लिया है
देने लगे है आशिक दुआएं हमारे प्यार को

तुम नौ हाथ की रजाई तान कर सो जाओ
छू भी नही सकती बलाएँ हमारे प्यार को

आओ जहाँ को कर दे हम इस तरह बेचैन
लोग जन्मों का बंधन बताये हमारे प्यार को