उसे उल्टा सीधा बोलकर खूब रोता हूँ
या रब मैं इतना गुस्सा क्यूं होता हूँ
शीशे की तरह साफ़ है इश्क के हालात
फिर भी रोज नये ख्वाब क्यूं संजोता हूँ
तेरी याद में मंगल वीर सब एक समान
बता कौन से दिन पलकें ना भिगोता हूँ
मुस्कुराना अपनी जगह मगर सच है यह
आजकल चैन की नींद नही सोता हूँ
अब भी वही जवाब है उसका बेचैन
मैं ही सवालातों का बोझ ढोता हूँ
या रब मैं इतना गुस्सा क्यूं होता हूँ
शीशे की तरह साफ़ है इश्क के हालात
फिर भी रोज नये ख्वाब क्यूं संजोता हूँ
तेरी याद में मंगल वीर सब एक समान
बता कौन से दिन पलकें ना भिगोता हूँ
मुस्कुराना अपनी जगह मगर सच है यह
आजकल चैन की नींद नही सोता हूँ
अब भी वही जवाब है उसका बेचैन
मैं ही सवालातों का बोझ ढोता हूँ
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