Friends

Friday, 6 January 2012

जरा सी बात कितनी बार समझेगी

तू खुद को जब तलक शिकार समझेगी
नही लगता है मेरा प्यार समझेगी

बिछड़ते ही तुमसे दम तोड़ दूंगा
जरा सी बात कितनी बार समझेगी

मुझ पर हो जाएगा उसी दिन यकीन
जिस दिन खुद पर एतबार समझेगी

कैसे होगी मेरे दर्द से मुलाक़ात
आंसुओ को जब तक बेकार समझेगी

जन्म भर फिर तो बेचैन ही रहोगी
अपने अहसास जब तक भार समझोगी


No comments: