तू खुद को जब तलक शिकार समझेगी
नही लगता है मेरा प्यार समझेगी
बिछड़ते ही तुमसे दम तोड़ दूंगा
जरा सी बात कितनी बार समझेगी
मुझ पर हो जाएगा उसी दिन यकीन
जिस दिन खुद पर एतबार समझेगी
कैसे होगी मेरे दर्द से मुलाक़ात
आंसुओ को जब तक बेकार समझेगी
जन्म भर फिर तो बेचैन ही रहोगी
अपने अहसास जब तक भार समझोगी
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