मैं जकड़ा हुआ हूँ हालात की जंजीर में
क्या खोजती हो रोजाना मुझ फकीर में
मैं जिंदगी के सर्कस का जोकर हूँ जान
नही लिखवाकर लाया हंसना तकदीर में
मैं नही हूँ तुम्हारे ख्वाबो का शहजादा
मत बर्बाद कीजियेगा वक्त इस कबीर में
कैसे लूं तुझे बाँहों में भरने का ख्वाब
जब दिख नही रही तुम हाथों की लकीर में
होकर बेचैन दम तोड़ता है तो तोड़ने दो
मत तरस खाना अपनी जुल्फों के असीर में
असीर= कैदी
क्या खोजती हो रोजाना मुझ फकीर में
मैं जिंदगी के सर्कस का जोकर हूँ जान
नही लिखवाकर लाया हंसना तकदीर में
मैं नही हूँ तुम्हारे ख्वाबो का शहजादा
मत बर्बाद कीजियेगा वक्त इस कबीर में
कैसे लूं तुझे बाँहों में भरने का ख्वाब
जब दिख नही रही तुम हाथों की लकीर में
होकर बेचैन दम तोड़ता है तो तोड़ने दो
मत तरस खाना अपनी जुल्फों के असीर में
असीर= कैदी
2 comments:
welcome .
http://www.hbfint.blogspot.com/2012/01/24-happy-new-year-2012.html
vaah kyaa kahne
Post a Comment