अच्छा किया मुझे मेरी औकात याद दिला दी
जो भूल चुका मैं मुझे वो बात याद दिला दी
क्यूं रहेगी बता तेरी यादों की जमी बंजर
तूने आंसुओ की जब बरसात याद दिला दी
ज्यादा ही हवा में मैं उड़ने लगा था शायद
जो तुमने नसीब में मिली मात याद दिला दी
तन्हाई बेबसी और दर्द से डरकर भाग रहे
बेवकूफ शायर को उसकी ज़ात याद दिला दी
इक हादसा बनकर आने का शुक्रिया बेचैन
है जिंदगी कितनी वाहियात याद दिला दी
जो भूल चुका मैं मुझे वो बात याद दिला दी
क्यूं रहेगी बता तेरी यादों की जमी बंजर
तूने आंसुओ की जब बरसात याद दिला दी
ज्यादा ही हवा में मैं उड़ने लगा था शायद
जो तुमने नसीब में मिली मात याद दिला दी
तन्हाई बेबसी और दर्द से डरकर भाग रहे
बेवकूफ शायर को उसकी ज़ात याद दिला दी
इक हादसा बनकर आने का शुक्रिया बेचैन
है जिंदगी कितनी वाहियात याद दिला दी
No comments:
Post a Comment