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Sunday, 27 April 2014

शर्म और लिहाज़ से जितना भरा होगा
व्यवहार में वो सख्स उतना खरा होगा

इक दफा रोज निहारता है वो पैर खुद के
इन पर जरूर किसी ने सर धरा होगा

अहसास में जुदाई मायने नही रखती
देख लो जिक्र छेड़कर जख्म हरा होगा

तस्वीरें यार देगी उसी की आँख को ठंडक
आंसू बनकर जिसका भी दर्द झरा होगा

दोगलेपन से वही पेश आएगा बेचैन
जिस भी इंसान का जमीर मरा होगा

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