यारब उसी की सोच थर्ड क्लास निकली वरना
हमने उसे कभी कलेक्टर से कम नही समझा
समझकर छोड़ा फिर उसको बेईमान सोच ने
हमदम को कभी जिसने हमदम नही समझा
क्या ख़ाक सुलझाएगा वो जमाने के मसलो को
जिस सख्स ने कभी हालात का खम नही समझा
रिश्तो के मुआमले में वक्त ने ठग लिया उसको
जिसने दूसरो की वफ़ा में कभी दम नही समझा
माँ बाप तक खो चुका हूँ खोने के मामले में बेचैन
इसलिए महबूब के गम को कभी गम नही समझा
हमने उसे कभी कलेक्टर से कम नही समझा
समझकर छोड़ा फिर उसको बेईमान सोच ने
हमदम को कभी जिसने हमदम नही समझा
क्या ख़ाक सुलझाएगा वो जमाने के मसलो को
जिस सख्स ने कभी हालात का खम नही समझा
रिश्तो के मुआमले में वक्त ने ठग लिया उसको
जिसने दूसरो की वफ़ा में कभी दम नही समझा
माँ बाप तक खो चुका हूँ खोने के मामले में बेचैन
इसलिए महबूब के गम को कभी गम नही समझा
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