Friends
Thursday, 26 September 2013
Friday, 5 July 2013
तुझसे बने तो मेरी बेबसी का इलाज कर देना
तुझसे बने तो मेरी बेबसी का इलाज कर देना
वरना बाद मेरे घर आके अपना अफ़सोस धर देना
मैं दिल लगाने के खेल में कभी भी शिकस्त नही खाता
सीख ही गया होता गर मैं पर सच्चाई के कुतर देना
आखरी सांस मुझको बस उसी की गोद में लेनी है
अल्लाह अपने बच्चे को जिंदगी और मुख्तसर देना
वफा के मामले में रति भर भी अगर मैं झूठा निकलूँ
किस्मत मेरे हर चाहने वाले के हाथ में पत्थर देना
बहुत खौफनाक होती है ये जुदाई की जिंदगी बेचैन
तुम नई पीढ़ी को गलतफहमी से बचने का डर देना
वरना बाद मेरे घर आके अपना अफ़सोस धर देना
मैं दिल लगाने के खेल में कभी भी शिकस्त नही खाता
सीख ही गया होता गर मैं पर सच्चाई के कुतर देना
आखरी सांस मुझको बस उसी की गोद में लेनी है
अल्लाह अपने बच्चे को जिंदगी और मुख्तसर देना
वफा के मामले में रति भर भी अगर मैं झूठा निकलूँ
किस्मत मेरे हर चाहने वाले के हाथ में पत्थर देना
बहुत खौफनाक होती है ये जुदाई की जिंदगी बेचैन
तुम नई पीढ़ी को गलतफहमी से बचने का डर देना
Wednesday, 6 March 2013
Friday, 22 February 2013
सब कुछ है मगर तेरी कमी रहती है
अब हर वक्त आँखों में नमी रहती है
सब कुछ है मगर तेरी कमी रहती है
मैं कितनी ही गरम आहे भर लूं मगर
फिर भी सांसे जमी की जमी रहती है
गुम अंधेरो में इसलिए न हो पाया
जहन में यादों की रौशनी रहती है
दफन करके चले सब तो मुर्दे ने कहा
अपनेपन की बू जीते जी रहती है
वक्त रहते सुलझा लो वरना ता-उम्र
गलतफहमी तो गलतफहमी रहती है
हंसकर भी रोकर भी हामी भरता हूँ
हाँ दर्द में इन दिनों जिंदगी रहती है
तस्वीरों में दिखती है रौनक मुह पर
मगर नब्ज़ तो बेचैन थमी रहती है
Sunday, 17 February 2013
जब जिस्म का कोई हिस्सा खराब हो जाता है
क्या काट फेंकने से इलाज़ हो जाता है
है मुफलिसी ही ऐसी कुत्ती चीज़ जिसमे
सच्चा आदमी भी दगाबाज़ हो जाता है
हो मसला दिल का या फिर घरबार का यारों
चुप्पी साधने से लाइलाज हो जाता है
अश्को को उँगलियों पर रखके देखता है
हंसी का जब कोई मोहताज़ हो जाता है
बेचैन बुरा दिल से कभी नही चाहेगा
महबूब पर जिसे भी नाज़ हो जाता है
क्या काट फेंकने से इलाज़ हो जाता है
है मुफलिसी ही ऐसी कुत्ती चीज़ जिसमे
सच्चा आदमी भी दगाबाज़ हो जाता है
हो मसला दिल का या फिर घरबार का यारों
चुप्पी साधने से लाइलाज हो जाता है
अश्को को उँगलियों पर रखके देखता है
हंसी का जब कोई मोहताज़ हो जाता है
बेचैन बुरा दिल से कभी नही चाहेगा
महबूब पर जिसे भी नाज़ हो जाता है
Friday, 11 January 2013
वक्त बेरहम है किसी के लिए रो नही सकता
फिलहाल जो है उससे अच्छा हो नही सकता
वक्त बेरहम है किसी के लिए रो नही सकता
गलतफहमी की चपेट में गर विश्वास आ जाये
कोई हो अश्को से दाग दिल के धो नही सकता
दुनिया के किसी भी हिस्से में रहो बिछड़कर आप
कभी अहसास का बच्चा सुख से सो नही सकता
महबूब लाख बुरा कर दे प्यार सच्चा है अगर
आखरी सांस तक राह में कांटे बो नही सकता
किसी का कुछ नही बिगड़ेगा नूर जाता रहेगा
बेचैन मोती आँखों के और खो नही सकता
वक्त बेरहम है किसी के लिए रो नही सकता
गलतफहमी की चपेट में गर विश्वास आ जाये
कोई हो अश्को से दाग दिल के धो नही सकता
दुनिया के किसी भी हिस्से में रहो बिछड़कर आप
कभी अहसास का बच्चा सुख से सो नही सकता
महबूब लाख बुरा कर दे प्यार सच्चा है अगर
आखरी सांस तक राह में कांटे बो नही सकता
किसी का कुछ नही बिगड़ेगा नूर जाता रहेगा
बेचैन मोती आँखों के और खो नही सकता
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