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Friday, 11 January 2013

वक्त बेरहम है किसी के लिए रो नही सकता

फिलहाल जो है उससे अच्छा हो नही सकता
वक्त बेरहम है किसी के लिए रो नही सकता

गलतफहमी की चपेट में गर विश्वास आ जाये
कोई हो अश्को से दाग दिल के धो नही सकता

दुनिया के किसी भी हिस्से में रहो बिछड़कर आप
कभी अहसास का बच्चा सुख से सो नही सकता

महबूब लाख बुरा कर दे प्यार सच्चा है अगर
आखरी सांस तक राह में कांटे बो नही सकता

किसी का कुछ नही बिगड़ेगा नूर जाता रहेगा
बेचैन मोती आँखों के और खो नही सकता

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