वो बारहा जिक्र जमाने का उठाते है
क्या हमको लोग समझ नही आते है
खुदा जाने वो कैसा दिमाग रखते है
जहाँ से शुरू होते है वही आ जाते है
कहते है वो मेरी खुशियों में खुश है
मगर मिलते ही मौक़ा खूब सताते है
करते है जब वो घुमा फिराकर बात
अपने तो दोस्तों तोते उड़ जाते है
नही समझ पाया हूँ कमबख्त को मैं
अक्सर बेचैन करके प्यार जताते है
क्या हमको लोग समझ नही आते है
खुदा जाने वो कैसा दिमाग रखते है
जहाँ से शुरू होते है वही आ जाते है
कहते है वो मेरी खुशियों में खुश है
मगर मिलते ही मौक़ा खूब सताते है
करते है जब वो घुमा फिराकर बात
अपने तो दोस्तों तोते उड़ जाते है
नही समझ पाया हूँ कमबख्त को मैं
अक्सर बेचैन करके प्यार जताते है
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