Friends

Sunday, 21 June 2015

फादर्स डे पर मेरी और से ,,,



मुझे अपनी और जमाने की औकात समझ में आ गई
बाउजी क्या गए दुनिया से कायनात समझ में आ गई

मैं अब अनसुनी नही करता हूँ हो बात कोई भी बाउजी
क्यूँ पाँव दबाते वक्त मारी थी वो लात समझ में आ गई

देने लगी है जब से पहरा मेरे सिरहाने पर जिम्मेदारियां
सचमुच कितनी लम्बी होती है रात समझ में आ गई

मेरा इससे जियादा ज्ञान बताओ क्या बढ़ेगा दुनिया का
यार प्यार और रिश्तेदारो की भी जात समझ में आ गई

अच्छे बुरे की समझ बेचैन लगभग आने लगी है क्यूकी
अब बाउजी की झिड़कियों भरी हर बात समझ में आ गई

No comments: