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Friday, 11 May 2012

आग तू है तो मैं धुंआ हूँ तेरा

मेरी सांसो से तू निकलकर दिखा
बिन मेरे अ शमा तू पिंघलकर दिखा

ले आया हूँ तुझे इतनी दूर मैं
बिन मेरे दो कदम अब चलकर दिखा

मैं नमी बनकर आँखों में छिप गया
सुर्ख हो जाएगी आँख मलकर दिखा

बिन मेरे लडखडायेगा मयख्वार सा
मैं नही हूँ नशा तो सम्भलकर दिखा

रम चुका हूँ तुम्हारी फितरत में मैं
अपनी आदत से अब तू फिसलकर दिखा

मैं हाथों की रेखाओ में उभर रहा हूँ
तू विधाता का लिखा बदलकर दिखा

आग तू है तो मैं धुंआ हूँ तेरा
बिन मेरे तू बेचैन जलकर दिखा



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