मत पूछ प्यार में परेशान हुआ कितना
तन मन और धन का नुकसान हुआ कितना
मैं खुद की नजर में गिरकर जब खड़ा हुआ
अंदाज़ा नही है पशेमान हुआ कितना
मजबूरी तो देख पूछ भी नही सकता
जख्मी ज़हन पर तू मेहरबान हुआ कितना
नही पडती आदत तो ना होता यह सब
मैं ही जानता हूँ तुझपर कुर्बान हुआ कितना
बता नही सकता मगर सच है बेचैन
अबके तेरा मुझ पर अहसान हुआ कितना
तन मन और धन का नुकसान हुआ कितना
मैं खुद की नजर में गिरकर जब खड़ा हुआ
अंदाज़ा नही है पशेमान हुआ कितना
मजबूरी तो देख पूछ भी नही सकता
जख्मी ज़हन पर तू मेहरबान हुआ कितना
नही पडती आदत तो ना होता यह सब
मैं ही जानता हूँ तुझपर कुर्बान हुआ कितना
बता नही सकता मगर सच है बेचैन
अबके तेरा मुझ पर अहसान हुआ कितना
1 comment:
वाह!!!
बहुत खूब...........
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