मैं तो मरे हुवो की भी याद में रोता हूँ
तुम तो जीते जी जुदाई की बात करते हो
मुझ पर बेवफाई का इल्जाम लगाने वाले
यह क्यूं नही बताते अपने आप से डरते हो
मैंने पढ़ा है तुम्हारी आँखों का सूनापन
तुम जान बूझकर पल पल घुट घुट मरते हो
अब हाँ ना भरो वो तो तुम्हारी अपनी मर्जी है
तुम्हारा दिल जानता है तुम जैसा संवरते हो
1 comment:
अच्छा लिखा है...
बधाई.
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