जुर्म था जो भी सज़ा मुझको एकदम देता
तडफ किस्तों में मुझे यूं ना हमदम देता
याद रखना था तुझे यूं भी उम्र भर मुझको
बेरुखी का न मुझे इतना बड़ा गम देता
यूं पलटकर तुझे बीच-राह से जाना ना था
सफर ये गलत था तो ध्यान पहले कम देता
आज धोखा मेरा समझाने से समझ जाता
प्यार के भेष में कल तू ना अगर भ्रम देता
बोलता तुझपे दिलो-जान से मरता हूँ
चाहे बेचैन की झूठी ही कसम देता
तडफ किस्तों में मुझे यूं ना हमदम देता
याद रखना था तुझे यूं भी उम्र भर मुझको
बेरुखी का न मुझे इतना बड़ा गम देता
यूं पलटकर तुझे बीच-राह से जाना ना था
सफर ये गलत था तो ध्यान पहले कम देता
आज धोखा मेरा समझाने से समझ जाता
प्यार के भेष में कल तू ना अगर भ्रम देता
बोलता तुझपे दिलो-जान से मरता हूँ
चाहे बेचैन की झूठी ही कसम देता
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