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Monday, 30 July 2012

उसूलो के खिलाफ जाकर प्यार कर रहा हूँ

कुछ इस तरह से खुद को गुनेहगार कर रहा हूँ
उसूलो के खिलाफ जाकर प्यार कर रहा हूँ

मालूम है तेरा जिंदगी में आना नही मुमकिन
मैं फिर भी भरी आँखों से इंतजार कर रहा हूँ

सजाकर ख्वाबो ख्यालो की रोजाना एक दुनिया
मैं रूह को कभी जमीर को शर्मसार कर रहा हूँ

जफा-ओ-वफा जो देनी है सोच समझकर देना
मैं हद से जियादा तुझ पर एतबार कर रहा हूँ

तू महसूस कर सके तो कभी कर आकर बेचैन
मैं दर्द को आहों से हर पल गुलज़ार कर रहा हूँ

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