सोचता हूँ आज पीकर हंगामा कर दूं
कई दिन हुवे मोहल्ले में ड्रामा कर दूं
दो-दो पैग देकर गली के सब बुढो को
मस्ती का पैदा एक कारनामा कर दूं
बहुत कान ऐंठे है बचपन से फूफा ने
क्यूं ना नशे में उसको मामा कर दूं
सच में अगर वो भी भूल गया है मुझे
खत्म यादों को खरामा-खरामा कर दूं
भूलके शर्म लिहाज़ पीने के बाद बेचैन
असली अंदाज़ में आकर मां-माँ कर दूं
कई दिन हुवे मोहल्ले में ड्रामा कर दूं
दो-दो पैग देकर गली के सब बुढो को
मस्ती का पैदा एक कारनामा कर दूं
बहुत कान ऐंठे है बचपन से फूफा ने
क्यूं ना नशे में उसको मामा कर दूं
सच में अगर वो भी भूल गया है मुझे
खत्म यादों को खरामा-खरामा कर दूं
भूलके शर्म लिहाज़ पीने के बाद बेचैन
असली अंदाज़ में आकर मां-माँ कर दूं
1 comment:
bahut sunder bechain ji
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