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Saturday, 20 June 2015

आदमी जब तक सच को निंगलता नही है

आदमी जब तक सच को निंगलता नही है
उसके भरम का हिमालय पिंघलता नही है

बुज़ुर्गो की दुआ और राय बेहद लाज़मी है
वरना सकूँ का पौधा फूलता फलता नही है

बस इतना ही पढ़ा देखा आज तलक मैंने
असर मुफ़लिस की हाय का टलता नही है

मानो तो दामाद बेटो से बढ़कर चैन देता है
किसने कहा बेटियो से वंश चलता नही है

टाइमपास होता है जिनके प्यार का टोटल
उनका जुदाई में कभी मन मचलता नही है

जब तक न पहुंचे जरुरतमंदो तक रौशनी
अपनी मर्ज़ी से आफताब भी ढलता नही है

जिंदगानी धोखा नही देती सुख से मरता है
जो आदमी रिश्तो को कभी छलता नही है

कमीनेपन का कोर्स पूरा होता नही बेचैन
लीडर जब तलक पार्टिया बदलता नही है



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