समझ गया हूँ खेल है सारा जज्बात का
अब नही मानता मैं बुरा किसी बात का
बेशक कितनी करें बुराई मेरी दुश्मन
चुगली समझता हूँ मैल ख्यालात का
दिन के उजाले में ही होता है सब कुछ
अब इंतजार नही करता कोई रात का
तंज़ कसने वालों से ही सवाल है मेरा
कितना कद होना चाहिए औकात का
कमीन हर हाल में कमीन कहलायेगा
बेशक लबादा ओढ़ता हो मेरी ज़ात का
वो कल क्या करेगा इसकी फ़िक्र छोडो
जमाना है आजकल नगद करामात का
अगली दफा वो ही बाज़ी मारेगा बेचैन
जिसके समझ आया मतलब मात का
अब नही मानता मैं बुरा किसी बात का
बेशक कितनी करें बुराई मेरी दुश्मन
चुगली समझता हूँ मैल ख्यालात का
दिन के उजाले में ही होता है सब कुछ
अब इंतजार नही करता कोई रात का
तंज़ कसने वालों से ही सवाल है मेरा
कितना कद होना चाहिए औकात का
कमीन हर हाल में कमीन कहलायेगा
बेशक लबादा ओढ़ता हो मेरी ज़ात का
वो कल क्या करेगा इसकी फ़िक्र छोडो
जमाना है आजकल नगद करामात का
अगली दफा वो ही बाज़ी मारेगा बेचैन
जिसके समझ आया मतलब मात का
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