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Sunday, 13 November 2011

वो दोस्ती से पहले मुखबरी करता है

वो दोस्ती से पहले मुखबरी करता है
तब जाकर अपना शक बरी करता है

करके चिकनी चुपड़ी बातें कमबख्त
मौका मिलते ही वो जादूगरी करता है

हर कदम हर रिश्ते से फरेब मिला है
वो इसलिए बात खोटी-खरी करता हैं

माँ का दर्दे दिल महसूस नही है जिसे
बेटा फिर बेकार ही अफसरी करता है


वो उतना ही शातिर निकलेगा बेचैन
जो जितनी जुबान रसभरी करता है

1 comment:

Abhishek Sheoran said...

Wahhhhhh kya khoob likha h....