सोच इक कदम भी आगे बढ़ पाती नही .......कमाल है !
जबकि मेरे दिलो-दिमाग में तो कोहराम मचा है
यादें उसको तकलीफ पहुंचाती नही .......कमाल है !
बसेरा कर लिया है अपनी तो आँखों में नमी ने
उसकी कभी पलके भी भीग पाती नही .......कमाल है !
उसको लेकर मैं तो खुद से रोजाना झगड़ता हूँ
क्या वो खुद से भी कभी कुछ बतियाती नही .......कमाल है !
ये कैसे मुमकिन है महबूब से बिछड़कर बेचैन
ठंडी आहें किसी की रूह तडफाती नही .......कमाल है !
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