Friends

Sunday, 7 June 2015

रूह की बुनियाद हिला देगी ये लम्बी उदासी

तू सचमुच जुड़ा है गर मेरी जिंदगी के साथ
तो कबूल कर मुझको मेरी हर कमी के साथ

रूह की बुनियाद हिला देगी ये लम्बी उदासी
हमेशा मत रहा कर आँखों की नमी के साथ

इससे ज्यादा यकीं बाप क्या करे रिश्तो पर
बेटी विदा कर देता है एक अजनबी के साथ

बाऊं जी मरने से पहले मुझे बताकर गए थे
समय शतरंज खेलता है हर आदमी के साथ

परेशान मत हो बेचैन इश्क और तिज़ारत में
जीते जी पेश आती है दिक्क़ते सभी के साथ







No comments: