तीन पैग तक तो उदासी महबूबा को बुलाती है
उसके बाद केवल दिवंगत माँ की याद आती है
हदें पहचानते है मेरे पीने की शहर के ठेकेदार
इसलिए तो मयखानों में पर्चियां चल जाती है
शराबखोरी से मुझको बचपन से ही नफरत है
बोतल देखते ही रूह खत्म करो बुदबुदाती है
करोड़ो का कर्ज़ा मगर फिर भी मौज मस्तियाँ
समझ नही पाया कुछ लोगो की कैसी छाती है
किस मंडी में ले जाऊं अपनी बेबसी के गुलाब
यहाँ हर दुकान से खुदगर्ज़ी की बू ही बू आती है
ख़ुदकुशी की कोशिश वज़ूद ने कई बार की है पर
मेरे संस्कारो की सीख अक्सर आड़े आ जाती है
दीदार की भूख ने जिनको भिखारी बना दिया है
वो जानते है रूह अनाज नही अहसास खाती है
कही और जाकर बोलता है मेरी रगो का नशा
बेचैन तन्हाईयाँ मेरी इसीलिए तो मुस्कुराती है
उसके बाद केवल दिवंगत माँ की याद आती है
हदें पहचानते है मेरे पीने की शहर के ठेकेदार
इसलिए तो मयखानों में पर्चियां चल जाती है
शराबखोरी से मुझको बचपन से ही नफरत है
बोतल देखते ही रूह खत्म करो बुदबुदाती है
करोड़ो का कर्ज़ा मगर फिर भी मौज मस्तियाँ
समझ नही पाया कुछ लोगो की कैसी छाती है
किस मंडी में ले जाऊं अपनी बेबसी के गुलाब
यहाँ हर दुकान से खुदगर्ज़ी की बू ही बू आती है
ख़ुदकुशी की कोशिश वज़ूद ने कई बार की है पर
मेरे संस्कारो की सीख अक्सर आड़े आ जाती है
दीदार की भूख ने जिनको भिखारी बना दिया है
वो जानते है रूह अनाज नही अहसास खाती है
कही और जाकर बोलता है मेरी रगो का नशा
बेचैन तन्हाईयाँ मेरी इसीलिए तो मुस्कुराती है
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