ज़िंदगी खामोश है ख्वाबो के शोर के बिना
मुमकिन नही कामयाबी बुरे दौर के बिना
अपने जहन में बिठा लो ये बात नौजवानो
बशर कुछ भी नही साहस की डोर के बिना
तू फ़िज़ूल बहस मत कर दिल के चौकीदार
चोरी हो नही सकती कही भी चोर के बिना
मालूम है अंधेरो को इसलिए तो गरूर में है
दिन निकल नही सकता कभी भोर के बिना
जहाँ भर की ख़ाक छानकर मैं लौट आता हूँ
दिल लगता नही बेचैन मेरा इंदौर के बिना
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