Friends

Thursday, 8 May 2014

कोई नही करता याद किसी को
ये तो फक्त भरम है आदमी को

जरूरत का दूसरा नाम प्यार है
टटोल लो बेशक खुदगर्ज़ी को

रूह में पसरा मातम दिखेगा नही
सोखना सीखो आँखों की नमी को

शक से लबरेज़ इमानदारो पीछे
क्यों खराब करते हो जिंदगी को

छोड़कर अपनी बेईमानी बेचैन
किसी की परवाह नही किसी को


No comments: