कोई नही करता याद किसी को
ये तो फक्त भरम है आदमी को
जरूरत का दूसरा नाम प्यार है
टटोल लो बेशक खुदगर्ज़ी को
रूह में पसरा मातम दिखेगा नही
सोखना सीखो आँखों की नमी को
शक से लबरेज़ इमानदारो पीछे
क्यों खराब करते हो जिंदगी को
छोड़कर अपनी बेईमानी बेचैन
किसी की परवाह नही किसी को
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