सचमुच नही है देख मेरे किसी काम का
तू वापिस ले जा दिल अपना सौ ग्राम का
अब और नही चुसूंगा उम्मीद की गुठली
तुमने गंवा दिया मौसम प्यार के आम का
तू वापिस ले जा दिल अपना सौ ग्राम का
अब और नही चुसूंगा उम्मीद की गुठली
तुमने गंवा दिया मौसम प्यार के आम का
कोशिश मत कर मुझे आँखों से पिलाने की
फ़िलहाल वक्त हो चला है असली जाम का
तू भी सूख कर छुआरा कभी नही होती
मान लेती कहना जो अपने झंडुबाम का
भाड़ में जाये अहसास तेल लेने जा तू
बेचैन आशिक हो गया है श्री राम का
फ़िलहाल वक्त हो चला है असली जाम का
तू भी सूख कर छुआरा कभी नही होती
मान लेती कहना जो अपने झंडुबाम का
भाड़ में जाये अहसास तेल लेने जा तू
बेचैन आशिक हो गया है श्री राम का
No comments:
Post a Comment