ज़हर से बुझे हुवे तुम्हारे लब की कसम
ये हीरा चाटकर मर जाऊ रब की कसम
हुश्न-ए- बला आगे फीके पड़ गये शेर
हां मुझे मेरी शायरी के ढब की कसम
कुदरत की पहली नेमत है तेरा हुश्न
ये पेड़ पर्वत नदिया इन सब की कसम
तुझ पर कर सकता हूँ उम्र भर शायरी
उर्दू के उस्तादों की अदब की कसम
तू जिसे देखे हंसकर बेचैन हो जाये
बेहद खूब है जो उसी गजब की कसम
ये हीरा चाटकर मर जाऊ रब की कसम
हुश्न-ए- बला आगे फीके पड़ गये शेर
हां मुझे मेरी शायरी के ढब की कसम
कुदरत की पहली नेमत है तेरा हुश्न
ये पेड़ पर्वत नदिया इन सब की कसम
तुझ पर कर सकता हूँ उम्र भर शायरी
उर्दू के उस्तादों की अदब की कसम
तू जिसे देखे हंसकर बेचैन हो जाये
बेहद खूब है जो उसी गजब की कसम
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