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Thursday, 6 September 2012

गिरफ्तार हूँ जुल्फों में पहले से जनाब मैं

तेरी खुमारी कम हो तो पीऊ शराब मैं
अब क्या लगाऊ अपनी बेखुदी का हिसाब मैं

कर्मजला इश्क  मुझे कही का ना छोड़ेगा
सिवा तेरे नही देखता कोई भी ख्वाब मैं

जब से तेरे लबो को गौर से देखा है
मुह सिकोड़ लेता हूँ देखकर गुलाब मैं

मुझे क्या करेगा जेल भीतर थानेदार
गिरफ्तार हूँ जुल्फों में पहले से जनाब मैं

क्या मेरी तरह से वो भी इश्क में पागल है
नही दे पाऊंगा सचमुच कोई जवाब मैं

कमबख्त दिल तो अभी तक भी बच्चा ठहरा
इसलिए लगाता हूँ बालों में हिजाब मैं

अश्को में दिखती है उसकी शक्ल बेचैन
बस इसलिए रखता हूँ  आँखे पुरआब मैं

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