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Monday, 20 August 2012

खुदा जाने किस हाल में चाँद मेरा

मजबूरियों के जाल में है चाँद मेरा
खुदा जाने किस हाल में चाँद मेरा

ईद का मौका है मैं खुश तो हूँ मगर
अनसुलझे सवाल में है चाँद मेरा

तभी अपना दीदार नही करवाया
शायद मलाल में है में चाँद मेरा

जीते जी नही टूटेगा यह भ्रम
मेरे इस्तकबाल में है चाँद मेरा

परियो का जिक्र है जहाँ भी बेचैन
हरेक उस मिसाल में है चाँद मेरा

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