व्यवस्थाओ को पसीना आया हुआ है
इसलिए तो आदमी घबराया हुआ है
प्रशासन के चेहरे से साफ़ झलकता है
बुरी तरह से खादी का सताया हुआ है
होते अंग्रेज तो फिर भगा देते देशभग्त
हमें तो अपनों ने गुलाम बनाया हुआ है
किरदार नेताओ का छिपा नही किसी से
कितना टुच्चापन इनमे समाया हुआ है
अहिंसा का ढोल पीटने वालो शर्म करो
गाँधी का फूल देश में कुम्हलाया हुआ है
सुविधाओ ने मेहनत को मारा है जब से
अय्यासी ने जमीर बेचकर खाया हुआ है
यह कैसी शर्मिंदगी है माथे पर बेचैन
जिसे भी देखो वही शख्स पछताया हुआ है
इसलिए तो आदमी घबराया हुआ है
प्रशासन के चेहरे से साफ़ झलकता है
बुरी तरह से खादी का सताया हुआ है
होते अंग्रेज तो फिर भगा देते देशभग्त
हमें तो अपनों ने गुलाम बनाया हुआ है
किरदार नेताओ का छिपा नही किसी से
कितना टुच्चापन इनमे समाया हुआ है
अहिंसा का ढोल पीटने वालो शर्म करो
गाँधी का फूल देश में कुम्हलाया हुआ है
सुविधाओ ने मेहनत को मारा है जब से
अय्यासी ने जमीर बेचकर खाया हुआ है
यह कैसी शर्मिंदगी है माथे पर बेचैन
जिसे भी देखो वही शख्स पछताया हुआ है
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