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Monday, 20 August 2012

हमें तो अपनों ने गुलाम बनाया हुआ है

व्यवस्थाओ को पसीना आया हुआ है
इसलिए तो आदमी घबराया हुआ है

प्रशासन के चेहरे से साफ़ झलकता है
बुरी तरह से खादी का सताया हुआ है

होते अंग्रेज तो फिर भगा देते देशभग्त
हमें तो अपनों ने गुलाम बनाया हुआ है

किरदार नेताओ का छिपा नही किसी से
कितना टुच्चापन इनमे समाया हुआ है

अहिंसा का ढोल पीटने वालो शर्म करो
गाँधी का फूल देश में कुम्हलाया हुआ है

सुविधाओ ने मेहनत को मारा है जब से
अय्यासी ने जमीर बेचकर खाया हुआ है

यह कैसी शर्मिंदगी है माथे पर  बेचैन
जिसे भी देखो वही शख्स पछताया हुआ है


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