वो दर्द बनकर ज़हन में जब उतर जाता है
शेर कहने का ढंग मुझे तभी तो आता है
कोई यकीं नही करेगा मगर सच कहता हूँ
वो तस्वीर से निकलकर अक्सर बतियाता है
कोई पागलपन कहे तो सौ बार कहे मगर
उसके ख्यालो को दिल ओढ़ता बिछाता है
रति भर भी झूठ नही इस जुमले में दोस्तों
इश्क आदमी को दुनियादारी सिखाता है
ईद होली दीपावली जैसी ख़ुशी मिलती है
मेरी सेहत की वो जब भी फ़िक्र उठाता है
खुल जाते है जख्मो के सब टांके बेचैन
वो जरा सी भी जब नाराजगी जताता है
शेर कहने का ढंग मुझे तभी तो आता है
कोई यकीं नही करेगा मगर सच कहता हूँ
वो तस्वीर से निकलकर अक्सर बतियाता है
कोई पागलपन कहे तो सौ बार कहे मगर
उसके ख्यालो को दिल ओढ़ता बिछाता है
रति भर भी झूठ नही इस जुमले में दोस्तों
इश्क आदमी को दुनियादारी सिखाता है
ईद होली दीपावली जैसी ख़ुशी मिलती है
मेरी सेहत की वो जब भी फ़िक्र उठाता है
खुल जाते है जख्मो के सब टांके बेचैन
वो जरा सी भी जब नाराजगी जताता है
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