जिंदगी चार दिन की है कसमकश में हूँ
वो पांचवे दिन वस्ल का वादा कर गया
दिखाकर ख्वाब अगले जन्म का कमबख्त
अहसानमंद मुझको कुछ ज्यादा कर गया
जुल्फों की ज्यूं बातें भी पेंचभरी लगी
वो मना बेशक बे इरादा कर गया
महोब्बत में सच से जिसने गुरेज़ किया
फना उन्हें झूठ का लबादा कर गया
मैं उमर भर जिससे बचता आया था
सद हैफ वो काम दिले-नादां कर गया
औलाद के नाम तकदीर विरासत में
बताओ किसका बाप दादा कर गया
बदनसीबी तो देख राजा की बेचैन
रानी को बस मे एक प्यादा कर गया
वस्ल=मिलन
पेंचभरी=उलझी ,,, सद हैफ = सौ बार अफ़सोस
1 comment:
wah wah bhut khoob
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