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Wednesday, 25 April 2012

वो पांचवे दिन वस्ल का वादा कर गया


जिंदगी चार दिन की है कसमकश में हूँ
वो पांचवे दिन वस्ल का वादा कर गया

दिखाकर ख्वाब अगले जन्म का कमबख्त
अहसानमंद मुझको कुछ ज्यादा कर गया

जुल्फों की ज्यूं बातें भी पेंचभरी लगी
वो मना बेशक बे इरादा कर गया

महोब्बत में सच से जिसने गुरेज़ किया
फना उन्हें झूठ का लबादा कर गया

मैं उमर भर जिससे बचता आया था
सद हैफ वो काम दिले-नादां कर गया

औलाद के नाम तकदीर विरासत में
बताओ किसका बाप दादा कर गया

बदनसीबी तो देख राजा की बेचैन
रानी को बस मे एक प्यादा कर गया

वस्ल=मिलन
पेंचभरी=उलझी ,,, सद हैफ = सौ बार अफ़सोस

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