मेरे ख्वाबो की परवाज हो तुम
जिंदगी किसलिए नाराज हो तुम
गुज़रा वक्त तो मुझे भी याद नही
मगर मेरा कल और आज हो तुम
मैं बेशक शाहशाह नही हूँ मगर
याद रखना मेरी मुमताज़ हो तुम
बिन तेरे मर जाऊंगा तडफ कर
मेरे दर्दे दिल का इलाज़ हो तुम
पाप मन का तेरे आगे रख दिया
मेरी उम्र भर का हमराज हो तुम
इक तेरे ही तो दम पर गूंज है
मेरी जुबां मेरी आवाज़ हो तुम
नही है कोई तुझ जैसा जहाँ में
बेचैन कर दे वो अंदाज़ हो तुम
1 comment:
बिन तेरे मर जाऊंगा तडफ कर
मेरे दर्दे दिल का इलाज़ हो तुम ...
बहुत खूब ... लाजवाब शेर है ... दर्द देने वाला ही इलाज भी होता है ... पूरी गज़ल मस्त है ...
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