ना कम हो कभी गुलाबी रंग बहार का
खुदा और बढ़ाए नूर तेरे रुखसार का
पड़ते रहे हमेशा हंसते वक्त डिम्पल
यूं ही जले जी तुझे देखकर गुलज़ार का
हर दुआ के बाद यह दुआ मांगता हूँ
शकून मिले तुझको सारे संसार का
बस इतनी सी है उम्मीद शायरी से
असर हो उसपे किसी भी अशआर का
इश्क ने यही तो सीखाया है बेचैन
दिल देना खेल ही समझो दिलदार का
खुदा और बढ़ाए नूर तेरे रुखसार का
पड़ते रहे हमेशा हंसते वक्त डिम्पल
यूं ही जले जी तुझे देखकर गुलज़ार का
हर दुआ के बाद यह दुआ मांगता हूँ
शकून मिले तुझको सारे संसार का
बस इतनी सी है उम्मीद शायरी से
असर हो उसपे किसी भी अशआर का
इश्क ने यही तो सीखाया है बेचैन
दिल देना खेल ही समझो दिलदार का
No comments:
Post a Comment