मैं क्या छोटा बच्चा भी मान लेगा
तुम परी हो अंधा भी पहचान लेगा
सजधज कर कभी बाहर ना निकलना
वरना गाँव पटाने की ठान लेगा
मेरी हंसी पर भी शक जताता है
ज़ालिम तू कितने इंतिहान लेगा
तुझे खुदा से भी बड़ा बना दूंगा
ज़माना मेरा जब भी बयान लेगा
बस यूं ही बेचैन होकर पूछ रहा हूँ
क्या प्यार में तू मेरी जान लेगा
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